एक सुंदर ग़ज़ल

भूली बिसरी चंद उम्मीदें चंद फ़साने याद आए
तुम याद आए और तुम्हारे साथ ज़माने याद आए

दिल का नगर आबाद था फ़िर भी
जैसे ख़ाक सी उड़ती रहती थी
कैसे ज़माने ऐगामेदौरां
तेरे बहाने याद आए


हंसने वालों से डरते थे
छुप छुप कर रो लेते थे
गहरी गहरी सोच में डूबें
तो दीवाने याद आए


ठंडी सर्द हवा के झोंके
आग लगाकर छोड़ गए
फूल खिले शाखों पे नए और
दर्द पुराने याद आए
p.s. this is a gazal i heard and found worhty of sharing.... if anybody knows the shair, plz let me know